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णमोकार महामंत्र
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विनती1new
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ALOCHANA PATH आलोचना पाठ श्री १०५ पूर्णमति माताजी द्वारा
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NIRVANKAND PAATH निर्वाणकाण्ड भाषा प्रस्तुति  आर्यिकारत्न श्री १०५ पूर्णमति माताजी द्वारा
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गहरी नदियां दूर किनारे
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तुझमें ही दर्शन ज्ञान है तु अनन्त गुण की खान है
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जिनवाणी का कहना है आत्म  सुख का झरना है
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जैसे तैसे जिन्दगी जीते रहें
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राग पर से जो किया तुमने तो क्या पाओगे
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मेरी श्रद्धा ने चुना है तुमको दुनियां देखकरतुमको पुजा तुमको ध्याया  भाया दर्श किया जब तेरा गुरूवर
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तेरा सुख तुझमें ही रहा ऐसा श्री जिनवर ने कहा
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चलो मेरे आत्म प्रदेश
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हे चेतन चेत जा अब तो
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हर पल गुरु की याद मुझे आती है
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हम पा गयें   गुरु शरण अब कहां जायें, श्री १०५ आर्यिका रत्न श्री पुर्णमति माताजी द्वारा रचित।
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नवकार महामंत्र ,Om Namo Arihantanam, १०५ पूर्णमति माताजी
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MERE MANN BHAYI TERI DIVYA मेरे मन भायी  मेरे मन भायी    तेरी दिव्य छवि
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अब तो ए आतम श्री १०५ आर्यिका रत्न श्री पुर्णमति माताजी द्वारा रचित Ab to hey aatam
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आ  तुझे अंतर में शांति मिलेगी  Aa tujhe antar mein shanti milegi
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क्यों सुख स्वरूप होके भी परेशान हो गए  Kyun sukh swaroop ho ke bhi
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आपने शिवपद को पाकर दे दिया सत् पथ मुझे  Aapne shiv pad ko pakar
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तोड़ दे सारे बंधन सदा के लिए यह मुश्किल नहीं आत्मा के लिए   श्री आर्यिका पुर्णमति माताजी द्वारा रचित
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हे आतम आनंद धन   जरा देख ले अपने अंतर में--- तू ही है स्वयं भगवन----- Hey aatam anand
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अथ शांतिधारा गुरूवर  आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज
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अथ वृहत शांतिधारा Vrahat Shantidhara
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ABHISEKH PAATH अभिषेकपाठ:' (आचार्य माघनंदी कृत) प्रस्तुति श्री १०५ आर्यिकारत्न पुर्णमति मातजी
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मगलाष्टक
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PRABHU BHAKTI SATAK
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एकिभाव स्तोत्र Ekibhav Stotra mp4a
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आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी
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